चुनावी सुधार पर बड़ा कदम: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए बुलाया

मुख्य संपादक - ओंकार नाथ वर्मा 

UP Samachar Plus

नई दिल्ली, 11 मार्च: भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने चुनावी प्रक्रियाओं को और मजबूत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित किया है। आयोग ने पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावी व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए सभी दलों से 30 अप्रैल, 2025 तक सुझाव मांगे हैं।

आज सभी राजनीतिक दलों को भेजे गए व्यक्तिगत पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि मौजूदा कानूनों और नियमों के तहत चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। आयोग ने राजनीतिक दलों को उनके सुविधा अनुसार समय निर्धारित कर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की असहमति या तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा सके।

चुनाव आयोग द्वारा यह पहल ऐसे समय पर आई है जब बीते सप्ताह मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित रूप से संवाद करें। उन्होंने यह भी कहा था कि इन बैठकों में प्राप्त सुझावों को मौजूदा कानूनी ढांचे के भीतर सख्ती से लागू किया जाए और इसकी रिपोर्ट 31 मार्च, 2025 तक आयोग को भेजी जाए।

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे विकेंद्रीकृत जुड़ाव के इस तंत्र का सक्रिय रूप से उपयोग करें, जिससे चुनावी प्रक्रियाओं की शुचिता और विश्वसनीयता को और अधिक मजबूती मिल सके।

संविधान और मौजूदा वैधानिक ढांचे के तहत चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग ने 28 प्रमुख हितधारकों की पहचान की है, जिनमें राजनीतिक दल भी शामिल हैं। आयोग ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि भारत के चुनावी ढांचे को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951; मतदाता पंजीकरण नियम, 1960; चुनाव संचालन नियम, 1961; तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के साथ-साथ आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों, मैनुअल और हैंडबुक का पालन किया जाता है। ये सभी दस्तावेज चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

चुनाव आयोग का यह कदम भारतीय लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। राजनीतिक दलों के साथ इस संवाद से चुनावी प्रक्रियाओं में संभावित खामियों को दूर किया जा सकेगा और आम जनता का चुनावी व्यवस्था पर भरोसा और मजबूत होगा। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि राजनीतिक दल इस पहल पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और क्या यह संवाद लोकतंत्र को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में सफल रहेगा।


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